सादगीपूर्ण ढंग से मनी शहीद उधम सिंह की 122वीं जयन्ती
कार्यशाला के संयोजक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामबृज गौतम ने बतौर मुख्य वक्ता अपनी बात रखते हुए बताया कि शहीद उधमसिंह 13.4.1919 को घटित जालियावाला बाग नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी थे। इस घटना से वीर उधमसिंह तिलमिला गए और उन्होंने जलियावाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर इस घटना के समय के ब्रिटिश लेफ़्टिनेण्ट गवर्नर माइकल-ओ-डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ली। अपने मिशन को अंजाम देने के लिए उधम सिंह ने विभिन्न नामों से अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा की। 1934 में उधम सिंह लंदन पहुंचे और वहां 9, एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर रहने लगे। अपना मिशन पूरा करने के लिए छह गोलियों वाली एक रिवाल्वर भी खरीद ली। जलियावाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13.03.1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक थी जहां माइकल ओ डायर भी वक्ताओं में से एक था। बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल-ओ- डायर पर गोलियां दाग दीं जिसकी तत्काल मौत हो गई। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी उन पर मुकदमा चला 04.06.1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31.07.1940 को उन्हें पेंटोविले जेल (यूनाइटेड किंगडम) में फांसी दे दी गई। बमरौली से समाजसेवी रामलाल बौद्ध और लाल बिहारा से हीरालाल बौद्ध ने बताया कि उस घटना के समय डायर नाम के दो अंग्रेज अधिकारी थे एक ब्रिटिश लेफ़्टिनेण्ट गवर्नर माइकल-ओ-ड्वायर जिसे 1940 में उधम सिंह ने को गोली से मार डाला दूसरे जनरल डायर रेजिनाल्ड एडवार्ड हैरी डायर 1927 में बीमार होकर मरे। उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के एक ज़िले का नाम भी इनके नाम पर उधम सिंह नगर बहन मायावाती जी ने रखा है। जयन्ती में रिया, आँचल, एलआर हर्षिता, सुषमा, करीना, पायल, प्रज्ञा रश्मि गौतम, शशि सिद्धार्थ, लोकनाथ, हर्ष दीप, साहिल सिंह, इशांत चौधरी, श्रेष्ठ चौधरी, अजीत, अभय, मो. हुसैन, अभिषेक आदि उपस्थित रहे।
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